ऐ बात तब के आय.जब हमन छुट्टी बिताए बर गांव म जान, हमर कुंती दई अब्बड किस्सा कहनी कहे..संझा ढलत देरी नई की सब्बो लईकामन खटिया ल जोर के बइठ जाए, तहां ले कुतीं दइ के कहनी सुरु हो जाए…एक ठन राजा रहिस..हव कहत रहू त कहनी ल आगू कहहू.. नइ हूकारू भरहू त कहनी ल इहिच मेर खतम समझहू..त सब्बो झिन ह.. ह… हव..अइसे कहत रहन…त ओ राजा ल चम्पी मालिस के सौकिन रहे…आगू गुडी़ म एक झिन बदरू नांव के न उ सियान रहे..अब्बड तान दे ,देके चम्पी करे, त राजा ओखर मेर खभर पठोइस , आन दिन ठाठ बाठ ले सजके नागर पहिरे, चर..चर करत राजा मेर पहूचिस..अउ कहिस..मैं ह आगे हव ग..कतका टेम म चम्पी करे बर हे, ओला बतावव..त राजा कहिस ..ए दे बस आते हंव, तै ह तेल, पानी ल ओ पार के कुरिया म बइठ..चहा पानी घलो पी ले तहां चालू कर देबे…हव जउन आप मन कहव…अइसन कहत बदरु उहां पहूचिस… थोरहे बेरा म राजा घलो आगे…ले रे बदरु आजा चल सुरु कर…हव..महराज… तहा बदरु गाना तान तान के मुड़ी डोलावत, फट फट दनादन मुड़ी ल मारत…मारे तेल ल बोथ दे.अइसन करत करत दू तीन घंटा बीता दिहिस..अब अइसन रोजिना के काम होगे..फेर एक दिन बदरु चप्मी करत मुडी़ म तेल ल चुपरतेच रहिस त सन्न ले होगे, बोक ले राजा कोति देखे…राजा कहिस …का होगे बदरु…बदरू…कुछु न ई महराज….. कहि न रे बदरू ..का होगे झन डरा…बदरु मनेमन म गुमताड करत रहे..ए बात ल बताव की नई, फेर कहिच दे थंव..मममम…का कहव ग..अचंभा लगत हे ग..तोर मुडी़ म सिंग जाम गे ह…अएं…का कहत हस रे..पनिहिच म मारहूं, उटपटांग कहिबे त…गउ की लबारी नो हे ग..तै टमर ले जमनी हाथ कोति…राजा ह अइसे टमरे कस करिस….तहं ले अकबक होगे…अरेरे….राम राम बदरु क इसे होगे रे…..मोर मुड़ी म कइसे सिंग जाम गे रे…..अब कइसे होही रे….बदरु…..काय करंव रे बदरु…अइसन ग़ोहार पारके चिचियाए लगिस…बदरू कहिस…झन न चिचिया लोगन सुनहि त दसो बात कहीं, तेकर ले अच्छा तोर मोर बीच के बात हे ,इहिच मेर रहन दे…जादा बगरहि त बदनामी होही…हहहहह.. बने कहत हस बदरू…फेर किरिया खा कि जे बात ल कोउनो ल नइ कहिबे….हव..नइ कहंव..अतका कहत कहत बदरु अपन घर कोति निकलिस…बदरू के बहुत अनफबित बात ए रहिस कि ओकर मेर कोनो बात ल पचाए के सकती नइ रहिस…फेर रेगत रेंगत पेट ओकर खलबलाए लगिस ए बात ल काकर मेर कहंव….तहा फट ले एति ओति देखिस , कोनो नइ दिखिस त अब्बड जोर करके रुख रइ के तरि म नरियाइस….कि सुनव रे…सुनव रे…राजा के मुडी़ म सिग जामे हे रेरे रेएएएए…अइसनहा किसिम ले तीन पइत ले कहिस…तहं कलेचुप होगे..एति ओति देखिस कोनो सुनिस त नइ हे…तहाँ उहां ले खसक लिहिस…रद्दा भर सोचत रहिस..चल कोनो सुनिस नइ, सुन लेतिस त राजा मोला फांसी म लटका दिहि कि मना करे ले घलो मै ए बात ल बता पारेंव, फेर चल कौनो नइ सुनिस…फेर ओ ह गम ल नइ पाइस कि जउन रुख रई के तरि म ओह ए बात ल कहे रहिस , ओ सब्बो बात ल रुख रई ह सुने रहिस..अब रुख रई काला बतांव ..काला कहंव अइसन सोचत सोचत..ठाढ हरिहर पोठ्ठ रुख ह नीचट सुख्खा गे..अइ रद्दा म औधा गिरगे। एति राजा अपन सइनिक संग सिकार करे बर ओ हि जंगल म पहूंच गे…उहां सुख्खा परे डंगाल ल देखके राजा कहिस ..कतका सुघ्घर रुख.रई ह अइसन कइसे सुख्खा गे…सइनिक मन ल जोगिस..एकर कुछु काहिं बन जाहि..एला जोरके लेग चलव..बढइ ह कुछु काहिं बना दिहि। अब ओ रूख रई ह जइसे- तइसे बढइ मेर पहूचगे…ओह छिल छालके एक ठन चिकारा , अउ घंटी अउ तबला बनाइस…तहा ओला बजाइस…त चिकारा ल बजाइस त ओमा ले अइसे अवाज आइस….ची…ची…चीइइइइइइ…माने राजा के मुडी़ म सिइइइइग….फेर बजाइस त फेर उहि तान बजिस…तहां घंटी ल बजाइस त घंटी कहिस…टिन टिन्न….माने कोन कहिस कोन कहिस…त फेर बढइ अंचभा म पढगे…फेर सोचिस तबला ल घलो देखव काय कहत हे….तहां तबला ल ठोकिस त तड तड तडाक धंबमममम….माने बदरू नउ ह कहिस…माने तीनो झिन मिलके बदरु जउन बात कहे रिहिस ओला रूख रई ह कहिच डारिस…तीनो ल लेके ओ ह राजा मेर गइस अउ कहिस…महराज ए तीनो ठन ल बजाए ले एमा कुछु बात ह सुनाइ परत हे..आपमन एला सुनव…बढ़इ बजाइस….चिकारा …चीइइइइइइ… राजा के मुडी म सिंगगगगगगग..घंटी टिन टिन्न कौन कहिस कौन कहिस…तबला…तड तड धमममममम…माने बदरु नउ ह कहिस…अतका सुनतेच राजा बगियागे…तमतमावत नउ ल पठोइस…नउ डरावत आइस…राजा ओला फासी म लटकवा दिहिस…फेर कुतीं दइ कहिस…सच ल कतको लुका डालव.फेर ओह एक दिन बाहिर आइच जाथे… एति सब्बो झन के नाक बाजे लगगे… दार भात चुरगे,कुतीं दइ के कहनी पूरगे……
डा.गीता शर्मा